सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
साथ-साथ हैं - लघुकथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
शनिवार, जुलाई 03, 2021
दीपू एक ऐसा बालक था जो सेठ मानिकचन्द अग्रवाल को वर्षो पूर्व सड़क पर लावारिस और विकल अवस्था रोता बिलखता मिला था। तब उसकी आयु लगभग पाँच छः वर्ष प्रतीत हो रही थी। वह बिचारा अपने नाम दीपू के सिवा कुछ ठीक से नही बता पा रहा था।
सेठ जी उसे पुलिस के हवाले करने ले गए, परन्तु पुलिस ने सेठ जी को ज़िम्मेदार नागरिक मानते हुए, बच्चे को तब तक सेठ जी संरक्षण में रखने का आग्रह किया जब तक उसका असली वारिस तलाशते हुए न पहुँचे।
कई दिन, महीने और वर्ष बीत गए, पुलिस और सेठ जी ने ख़ुद अख़बारों आदि में दीपू के लिए इश्तिहार दिए कि शायद उसके अपने ले जाएँ, परन्तु कोई नही आया।
अंततः सेठ एवम सेठानी ने दीपू को बहुत प्यार दुलार से रखा। सेठ जी का इकलौता बेटा रोहन भी अपने हमउम्र दीपू का अच्छा दोस्त अच्छा भाई बन गया था और सेठ सेठानी ने दीपू को न केवल प्यार, ममता और वात्सल्य दिया बल्कि अपना नाम भी दिया। दोनो बच्चो को समभाव से पालन पोषण किया।
दीपू का नाम भी स्कूल में लिखा दिया गया और दोनों भाई साथ-साथ खेलते पढ़ते कब बड़े हो गए, समय का पता ही न चला।
आज न्यूरो सर्जन डॉ. दीपक अग्रवाल उर्फ़ दीपू के नए अस्पताल का उदघाटन है और इंजीनियर रोहन अग्रवाल मेहमानों का सारा प्रबन्धन देख रहे हैं।
आज सेठ मानिकचन्द अग्रवाल सपत्नीक बहुत ख़ुश हैं, उनके दोनों बेटे बड़े प्यार से साथ-साथ हैं और स्वावलम्बी व नेकदिल होकर शहर में उनका नाम रोशन कर रहे हैं।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर