प्रार्थना - कविता - रूचिका राय

हे प्रभु सुन लो इतनी विनय हमारी,
रोग बीमारी से मुक्त हो दुनिया सारी,
छल दम्भ द्वेष मन में नही कभी हो,
तेरे कृपा से पार करूँ मैं बाधा सारी।

गिरते हुए को सदा मैं संभाल सकूँ,
बिगड़ी सारी मैं ख़ुद ही सँवार सकूँ,
न टूटे कभी भी हौसला मेरे मन का,
हर मुश्किल का हल मैं निकाल सकूँ।

हे प्रभु मेरे विश्वास को सदा तुम बचाना,
मेरे मन के आस को राह तुम दिखाना,
चेहरे की मुस्कान धूमिल न हो सके,
मेरे मन के काश को तुम ज़रूर मिटाना।

तेरे नाम के सुमिरन से सुकून मैं पाऊँ,
तेरे छवि को हिय में मैं सदा ही बसाऊँ,
पथ विमुख अगर मैं होऊँ राह तुम दिखाना,
तेरे चरण रज की धूल को माथे से लगाऊँ।

हे प्रभु सुन लो बस इतनी विनय हमारी,
संशय न रहे मन में कृपा रहे तुम्हारी।

रूचिका राय - सिवान (बिहार)

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