पन्ना धाय - कविता - सुधीर श्रीवास्तव

कौन नहीं जानता?
किसे नहीं पता?
पन्ना धाय की विशालता को,
जिसकी विशालता के आगे
हिमालय भी छोटा हो गया।
पन्ना के त्याग के आगे
धरती आकाश क्या
ब्रह्मांड तक हिल गया।
ममता ने जिसे बेज़ार कर दिया,
हौसले का पत्थर
सीने पर रख लिया।
जाने कैसे उसमें?
इतना साहस आ गया,
उदयसिंह की जान बचाने की ख़ातिर
अपनी ही कोख उजाड़ लिया।
त्याग की ऐसी मिसाल 
न पहले सुनी गई
और न ही सुनी जाएगी,
पन्ना के त्याग की गाथा
सदियों सदियों तक
यूँ ही सुनाई जाएगी।
पत्थर से जिगर वाले की भी
बार बार आँख भर आएगी।

सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)

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