हमारा हिंदुस्तान - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी

सबसे प्यारा
सबसे उम्दा,
है खूबसूरत
हमारा हिंदुस्तान।
एक नहीं है
भाषा हमारी,
एक नहीं है 
पहनावा
एक नहीं है रीति रिवाज,
फिर भी
करते है,
नतमस्तक हो 
सबका सम्मान।
ये हमारा प्यारा हिंदुस्तान।
उत्तर में खड़ा
हिमालय
बना है पहरेदार,
पंजाबी भागड़ा
और गुजराती डांडिया,
आर्याव्रत होता है सरोकार।
बंगाल में
दुर्गा पूजा,
और दक्षिण में
पोंगल का धूम 
मचाता त्यौहार।
बुंदेली गीतों में,
राई फाग में,
करते स्वांग हज़ार।
छत्तीसगढ़ में,
वनवासी भिन्न-भिन्न,
के चोला पहन
गाते गीत मल्हार।
इसीलिए तो
मैं कहता हूँ
कि हमारा हिन्दुस्तान महान।
सबसे प्यारा
सबसे उम्दा है
खूबसूरत हिन्दुस्तान।
कश्मीर की 
वादियाँ,
कल कल करते
झरने मानो,
गीत गा रहे मनोहर।
हरियाली
बर्फ की ओढे
चादर और
पहाड़ी गीत,
गाती बालायें
और उनके सहोदर।
यहा काले गोरे का
भेद नहीं,
पूर्व पश्चिम
उत्तर दक्षिण,
देश के चारो
कोने में,
धर्म की ध्वजा
फहराती,
सबका रखती मान
सबसे प्यारा
सबसे उम्दा
है खूबसूरत
हमारा हिन्दुस्तान।

रमेश चंद्र वाजपेयी - करैरा, शिवपुरी (मध्य प्रदेश)

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