चेहरे से अपने थोड़ा सा नक़ाब हटा ले - ग़ज़ल - एल. सी. जैदिया "जैदि"

अरकान : फ़ाइलातुन फ़ेलुन फ़ाईलुन फ़ऊलु फ़ऊलुन
तक़ती : 2122 22 222 121 122

चेहरे से अपने थोड़ा सा नक़ाब हटा ले,
बहती आँख से, घड़ियाली आब हटा ले।।

फ़िज़ा मे नफ़रत की आँधियाँ चल रही है
देख मज़हब की तेरी यह किताब हटा ले।।

पिघल न पाएगा दिल कोई, आने से तेरे
अर्थियो पर रखे तुम्हारे ये गुलाब हटा ले।।

जितना ज़ुल्म किया सब सह लिया हमने
बता कैसे ज़ख़्मों का हम हिसाब हटा ले।।

सिर पे छत, पेट को रोटी नही है तो फिर,
दिन के उजाले मे दिखाए, ख़्वाब हटा ले।।

आया तब से हाहाकार मची दहर मे 'जैदि'
दया कर हम पे तेरी सूरत ख़राब हटा ले।।

एल. सी. जैदिया "जैदि" - बीकानेर (राजस्थान)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos