जय जवान, जय किसान बोलो - कविता - मोहम्मद मुमताज़ हसन

जय-जय अपना हिंदुस्तान बोलो!
एक रहेंगे, हिंदू न मुसलमान बोलो!

मिटा देंगे जातपात, मज़हब के झगड़े,
बना कर सब को फिर इंसान बोलो!

सींचा वतन को लहू देकर वीरों ने, 
गर्व से जय जवान जय किसान बोलो!

भाईचारा है क़ायम सदियों से, रहेगा,
घण्टियां बजे या कहीं अज़ान बोलो! 

भेदभाव-नफ़रत की सरहद तोड़ो,
भाईचारा ही अपनी पहचान बोलो!

सियासत के लिए हमें न बाँटो,
दे रहा समानता हमें संविधान बोलो!

मुल्क बड़ा हर मज़हब से है अपना,
मातृभूमि पे बच्चा बच्चा क़ुर्बान बोलो!

तोड़ी हमने मिलकर ग़ुलामी की ज़ंजीरें,
है तिरंगा आन बान और शान बोलो!!

मोहम्मद मुमताज़ हसन - रिकाबगंज, टिकारी, गया (बिहार)

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