अरमान - कविता - तेज देवांगन

दिल में ना जाने कितने अरमान लिए,
आँखों में एक नई पहचान लिए।
यूँ तन्हा खड़ा हूँ मैं।

दुनिया की रुसवाई सहकर,
दोस्तो को हरजाई कहकर,
खुद से लड़ा हूँ मैं।
ए वक़्त हर पल तन्हा खड़ा हूँ मैं।

महफ़िलों से भरी शामों में,
उन गिलास से भरी जामो में,
कहीं टूट कर पड़ा हूँ मैं,
ए वक़्त हर पल तन्हा खड़ा हूँ मैं।

आँखों में सैलाब लिए,
होंठों पर प्यास लिए
दिल को पत्थर बना, खुद से लड़ा हूँ मैं।
ए वक़्त हर पल तन्हा खड़ा हूँ मैं।

पल पल खाई है ठोकर मैंने,
चंद पैसों के लिए तड़पना देखा है।
कुछ पाने की उम्मीद में,
हर पल दिल को दर्द से सेका है।

मेरी आँसुओं की कीमत पानी से भी कम है,
ए वक़्त का दौर तू मुझसे बेरहम है।
हर जगह टूट कर पड़ा हूँ मैं।
ए वक़्त हर पल तन्हा खड़ा हूँ मैं।

तेज देवांगन - महासमुन्द (छत्तीसगढ़)

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