माँ कात्यायनी वन्दना - हरिगीतिका छंद - अभिनव मिश्र "अदम्य"

हे! मात! नत मस्तक नमन नित, वन्दना कात्यायनी।
अवसाद सारे नष्ट कर हे, मात! मोक्ष प्रदायनी।

हे! सौम्य रूपा चन्द्र वदनी, रक्त पट माँ धरिणी।
हे! शक्तिशाली नंदिनी माँ, सिंह प्रिय नित वाहिनी।
माथे मुकुट है स्वर्ण का शुभ, पुष्प कर में धारिणी।
हे! मात! नत मस्तक नमन नित, वन्दना कात्यायनी।

हे! दुष्ट वंशे नाशिनी माँ, दैत्य दानव घातिनी।
कर दूर मेरे कष्ट माता, पावनी सुखदायिनी।
निज दास के भी दूर करदे, शोक भय माँ नाशिनी।
हे! मात! नत मस्तक नमन नित,वन्दना कात्यायनी।

हे! विश्व की संचलिनी माँ, भगवती मनमोहिनी।
माँ! कर कृपा सुख हो हमें वर, दान दो वरदायिनी।
अपराध सब करदे क्षमा करुणामयी माँ कामनी।
हे! मात! नत मस्तक नमन नित, वन्दना कात्यायनी।

अभिनव मिश्र "अदम्य" - शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश)

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