मैं सिलबट्टा खरीद,
चटनी रगड़ना चाहती हूँ
फिर से पूरी शक्ति बल से
उंगलियों से बट्टा पकड़
सील पर बहुत कुछ रगड़ना चाहती हूँ।
मैं सील की छाती पर तोड़कर गरदन
अदरक, लहसुन, हरी लाल मिर्च के जैसे
रुग्णता पूर्ण, संकीर्ण,
स्त्री प्रगति में बाधक प्रत्येक विचार को,
रगड़ देना चाहतीं हूँ।
रगड़ उसे मोटा-मोटा, तुरन्त
नमक छिड़क, उसे महिनता
से सील पर बट्टे की मज़बूत पकड़ से
नशो को तना, पूरा ज़ोर लगा।
सील की छाती परचटनी बना,
चटखारे ले खाना चाहती हूँ।
जो खाएं मुँह में तीखा लगे,
बहुत तीखा लगे, मुँह जल जाए
कानों तक तीखेपन का असर हो जाए
चटनी आँखो में पानी भर,
खूब तिलमिलाहट कर जाए।
हां मैं प्रतिरोधी स्त्री
सील बट्टे पर चटनी रगड़ना चाहती हूँ
देख शीर्ष स्तरीय घबराहट, तिलमिलाहट भी
स्त्री विरोधियों को,
नहीं अब पानी पिलाना चाहतीं हूँ।
डॉ. राजकुमारी - नई दिल्ली