कमाल है - नज़्म - अंकित राज

इत्तेफ़ाक से हमारा मिल जाना.. कमाल है
यूँ मेरी ज़िंदगी में तुम्हारा आना.. कमाल है

दीदार की बड़ी हसरत है लेकिन
बातों से दिल चुराना.. कमाल है

क्या जिस्म क्या हुस्न क्या इश्क़
उस पर ये तेरा शर्माना.. कमाल है

हज़ारों ख़्वाहिशों के साथ दिल हीं दिल में 
दिल का तेरी आँखों में उतर जाना.. कमाल है

सोचता था मिलके संवर जाऊंगा
आवाज़ से मेरा पिघल.. जाना कमाल है

चंद लम्हों में ये वीरान दिल रौशन हो उठा 
यूँ मुहब्बत के चराग जलाना..  कमाल है

जाते जाते तुम्हारा यूँ पलट के देखना, देखकर मुस्कराना 
दौड़ कर आना, गले से लगाना.. कमाल हैं

अंकित राज - मुजफ्फरपुर (बिहार)

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