सच्चे मित्र की पहचान - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला

तुलसीकृत रामचरितमानस की एक चौपाई जो कि ज्यादातर लोग जानते होंगे
धीरज धर्म मित्र अरु नारी।
आपति काल परखिए चारी।

यह पूर्णतया सत्य है कि सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय ही होती है।
जो मित्र विपत्ति में आपका साथ दे वही सच्चा मित्र है।
जो मित्रों की खुशी में शामिल होता है और दुख आने पर आपसे दूर हो जाता है तो वह आपका सच्चा मित्र नहीं हो सकता बल्कि ऐसा मित्र तो शत्रु से भी ज्यादा खतरनाक है।

मित्रता हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है।
मित्र के बिना हर व्यक्ति अकेला है। सच्चे मित्र मुश्किल से मिलते हैं। सुदामा कृष्ण की मित्रता सच्ची मित्रता का सबसे बड़ा  उदाहरण है।
जिस प्रकार पौधों को जीवित रखने के लिए खाद और पानी की जरूरत होती है, उसी तरह मित्रता को बरकरार रखने के लिए सहयोग और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है।
मित्रता अनमोल है और हमें सुचारू रूप से चलने में सहायता करती है।
हम सभी के जीवन में सच्चे मित्र का होना परम आवश्यक है, अतः मित्रता को हर हाल में बचा कर रखना चाहिए।

संस्कृत का एक श्लोक है
कराविव शरीरस्य नेत्र योरिव पक्षमणि।
अविचार्य प्रियम कुर्यात तनमित्रं  मित्रमुच्यते।
अर्थात् जिस प्रकार मनुष्य के दोनों हाथ शरीर की अनवरत रक्षा करते हैं उन्हें कहने की आवश्यकता नहीं होती, न कभी शरीर कहता है कि जब मैं पृथ्वी पर गिरूं तब तुम आगे आ जाना बचा लेना परंतु एक सच्चे मित्र की तरह हाथ शरीर की रक्षा में संलग्न रहते हैं। इसी प्रकार पलकों को भी आप देखिए नेत्रों में धूल का एक भी कण चला जाए तो पलके तुरंत बंद हो जाती हैं। इसी प्रकार सच्चा मित्र बिना कुछ कहे सुने मित्र का सदैव हित चिंतन किया करता है।

मित्रता मीन और नीर जैसी होनी चाहिए।
सरोवर में जब तक जल रहा मछलियां भी क्रीड़ा तथा मनोविनोद करती रहीं परंतु जैसे-जैसे तालाब पर विपत्ति आई पानी सूखने लगा तो मछलियां भी उदास रहने लगी।जल का अंत तक साथ नहीं छोड़ा उसके साथ स्वयं भी संघर्षरत रही और जल समाप्त हुआ तो उसके साथ ही जल के वियोग में तड़प तड़प कर अपने प्राण त्याग दिए।

रहिमन सोइ मीत है भीर पर ठहराई।
मथत मथत माखन रहे दही मही बिलगाई।

मित्रता का बंधन एक ऐसा बंधन होता है जो सबसे अलग होता है, जिसमें कोई लेन देन नहीं होता।
हमारे देश में बहुत ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाएंगे सच्ची मित्रता के।
सच्चा मित्र कभी भी आप को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करता। वह आपके साथ दिल से प्यार वह अच्छा व्यवहार हमेशा करता है।
सच्चा मित्र मतलबी नही होता है और न ही धोखेबाज।
वह अपने फायदे के लिए कभी आपको नुकसान नहीं पहुंचाएगा। सच्चा मित्र हर सुख दुख में साथ देता है।
सबसे बड़ी बात तो सच्चे मित्र में होती है कि वह कभी भी पीठ पीछे आपकी बुराई नहीं करता। अगर उसे आप मे  कोई बुराई नजर आयी तो सामने बताएगा उसे दूर कराने का प्रयास भी करेगा। वह सही राह पर चलने की सलाह देता है। सच्चा मित्र गलत कार्य को करने से रोकता है।
सच्ची मित्रता एक महान रिश्ता है एक महान ईश्वरीय बंधन है जो रक्त सृजित  रिश्तो और समाज के बनाए बंधनों से भी ऊपर है। अतः मित्रता को हर हाल में बचा कर रखना चाहिए।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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