तुम्हारी यादें - कविता - कुन्दन पाटिल

हर क्षण, हर पल
हर कही हर जगह
केवल और केवल
तुम्हारी ही यादें।
दूर हो प्रिय तुम
पर पास है मेरे
सिर्फ और सिर्फ
तुम्हारी ही यादें।
दर्द यह प्यारा सा
खामोशी के नजराणा सा
अनुपम  उपहार सा
तुम्हारी बस यादें।
मुस्कुराता हूँ मैं
उदास भी हो जाता हूँ मैं
क्यों आखिर क्यों?
तुम्हारी बस यादें।
ख्वाब बस तुम हो
उम्मिद भी तुम हो
कल्पनाओं का सागर तुम
और तुम्हारी बस यादें।

कुन्दन पाटिल - देवास (मध्यप्रदेश)

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