समय - कविता - अरुण ठाकर "ज़िन्दगी"

मैं वही पल वही लम्हा
वही खुशी वही गम हूँ ।
उम्र की हर खास आम 
वक्त की कड़ी हूँ ।
सफ़र की हर रफ़्तार 
का गवाह हूँ यकी कर ।
मैं ज़िन्दगी के हर वक्त का 
सही सही हिसाब हूँ ।
मुझे ना समझने की कोशिश कर ।
मैं चलता हूँ, मद मस्त अपनी ही चाल से ।
मैं समय हूँ समय ।
हर हिस्से की बात हूँ ।

अरुण ठाकर "ज़िन्दगी" - जयपुर (राजस्थान)

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