असुर कर्म आतंक से , मुक्त किया संसार।।१।।
नारायण अनुराग मन , पूत देवकी गेह।
भाद्र मास तिथि अष्टमी , वासुदेव नर देह।।२।।
कृष्ण अमावश कालिमा , जात कृष्ण अभिराम।
कालिन्दी दे सुगम पथ , नंदलाल सुखधाम।।३।।
लीलाधर षोडश कला , वासुदेव रच रास।
राधा संग अठखेलियाँ , कर नटवर उल्लास।।४।।
पीताम्बर घन श्याम तनु ,मोरमुकुट नित भाल।
चारु चन्द्र आनंदकर , यशुमति के गोपाल।।५।।
वंशीधर मधुमाधवी , मधुवन बहे बयार।
नंदलाल गिधिधर मधुर , ग्वालसखा गलहार।।६।।
शेषनाग शिर छत्र धर , मोर मुकुट अभिराम।
पद्मनाभ श्रीकृष्ण जग , चक्रपाणि सुखधाम।।७।।
योगेश्वर शारङ्गधर , पीताम्बर घन श्याम।
वसुदेव देवकी तनय , नंदलाल हरि नाम।।८।।
कमलनैन केशव मुदित , मुख लेपित नवनीत।
मगन यशोदा देख सुत , मुरलीधर संगीत।।९।।
लीलाधर नित बालपन , ग्वाल बाल आनंद।
नेहामृत दे उलाहना , ग्वालिन मन मकरंद।।१०।।
बकासुर जग त्रासदी , मार किया जग त्राण।
पान पयोधर पूतना , वधकर जन कल्याण।।११।।
हरे कृष्ण माधव भजो , जगन्नाथ गोपेश।
वृन्दावन राधारमण , दामोदर अखिलेश।।१२।।
पार्थ सखा गिरिधर परम , महावीर नीतीश।
रंगनाथ मथुरेश भज , मनमोहन जगदीश।।१३।।
रास बिहारी रुक्मिणी , राधा नैन चकोर।
गोपीवल्लभ कृष्ण नित , मीरा के चितचोर।।१४।।
गोकुलेश गोपाल नित , प्रीत मीत बन लोक।
रूप मनोहर चारुतम , नंदलाल हर शोक।।१५।।
यादवेन्द्र अनुराग नित , शरणागत हरि नाम।
जय मुकुन्द गोविन्द भज, यशुमति सुत अभिराम।।१६।।
वार्ष्णेय जगदीश जग , मधुसूदन अभिराम।
शान्तिदूत नित लोकहित , जनसीदन सुखधाम।।१७।।
पारिजात द्वारकेश हर , सत्यभाम आनंद।
जामवन्त जामातृ बन , प्रियतम मन मकरन्द।।१८।।
मीत सुदामा श्रेष्ठतर , सखा द्रौपदी मान।
महानायक कुरुक्षेत्र का , विराट रूप भगवान् ।।१९।।
मुरलीधर अच्युत मधुर , नटखट माखनचोर।
जगन्नाथ सुललित धीर, वल्लभ संग रणछोर।।२०।।
भज निकुंज नित हरिचरण , यदुनंदन गोलोक ।
दामोदर परित्राण नित , हरो। रोग जग शोक।।२१।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली