समय - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला

यह बात सत्य है कि जो समय के साथ चलता है वह अपनी जिंदगी में सब कुछ हासिल कर लेता है।
भारतीय उक्ति भी यही है कि शुभ काम में देरी ठीक नहीं, अर्थात समय के साथ चलो देर ना करो।
समय के साथ चलने का अर्थ यह भी है कि जितने भी नए परिवर्तन और नई सोच विकसित हो रही है उनको लेकर आगे बढ़ना।
छोटी मानसिकता को लेकर आगे  बढ़ना नहीं ।आज यही समय की मांग भी है।
अगर आप रूढ़िवादी सोच, दकियानूसी ख्याल के रहे तो समय के साथ कभी नहीं चल पाएंगे, अर्थात खुद के अंदर विकास कर आगे बढ़ा जाए।
समाज में होने वाले परिवर्तनों को अपनाना भी समय के साथ चलना है, चाहे वह घर के परिवर्तन हो या बाहर के, समय का मतलब है जो आज है वह कल नहीं होगा जो कल था वह आज नहीं है इसलिए कल की चिंता छोड़िए। यही गीता का सारांश भी है।

भाग्यवादी विचारधारा को अपनाने वाले एक आध विकल्पों को छोड़कर असफल ही होते हैं, क्योंकि कर्म के बिना सफलता सम्भव नहीं और समय निकल जाने के बाद किया गया कर्म प्रायः निष्फल ही हो जाता है।

समय सीमित है। हम हमेशा कहते हैं कि समय बीत रहा है जबकि सच यह है कि समय कभी नहीं बीतता, बीतते तो हम हैं।
समय तो तब भी था जब कुछ नहीं था समय तभी रहेगा जब कुछ भी नहीं रहेगा।
लोग कहते हैं कि हम टाइम पास कर रहे हैं जबकि टाइम हमें पास कर रहा होता है।

समय के साथ चलने का मतलब सिर्फ चलना है रुकना नहीं, चाहे कुछ भी हो जाए, कोई भी परेशानी हो सिर्फ चलना।क्योंकि समय कभी नहीं रुकता जो समय के साथ चलते हैं रुकते नहीं वह किसी न किसी मंजिल तक जरूर पहुंचते हैं।

समय अच्छा हो या बुरा गुजर तो जाता ही है।
हमें भी इसी तरह कोशिश करनी चाहिए। हम तरक्की पा लेते हैं और वहीं पर रुक जाते हैं अपने दिमाग में सफलता को बिठा लेते हैं और नई मंजिल खोजना भूल जाते हैं।
यहाँ पर समय के साथ चलने का मतलब है अपनी कामयाबी, नाकामयाबी सब को भूल कर फिर आगे एक दूसरे मंजिल की तलाश करना और सिर्फ चलते रहना, अर्थात कार्य को अंजाम देते रहना।

समय, परिवर्तन को स्वीकार करके उस से होकर गुजरता है।
समय में परिवर्तन को सहने की, उसे स्वीकार करने की क्षमता होती है। उसी तरह हमें भी परिवर्तन को स्वीकार करना चाहिए, और परिवर्तन के अनुरूप खुद को ढाल लेना चाहिए इसे ही समय के साथ चलना कहते हैं।

बहुत से लोगों से सुना है कि समय के साथ चलो आगे बढ़ जाओगे, इसका आशय यह है कि जिस तरह प्रत्येक दिन अपने साथ नहीं आ जाएं कुछ अच्छे बुरे अनुभव लेकर आता है ठीक उसी तरह हमें भी अपने साथ में सकारात्मक बदलाव करते हुए समय के साथ तालमेल मिलाना चाहिए तो सफलता 1 दिन तो मिलेगी ही।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उ०प्र०)

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