मदिरा को अमृत समझते है।
हर वक्त इनके दिलों-दिमाग में,
मदिरा ही बसते है।
ना जाने क्यों? कुछ लोग,
मदिरा को अमृत समझते है।
पीने के लिए जीना छोड़ देते है,
हर बात को मदिरा से जोड़ देते है
ना जाने क्यों? कुछ लोग,
मदिरा को अमृत समझते है।
सारी-सारी दिन मेहनत करते,
शाम को मदिरा में मस्त रहते है।
ना जाने क्यों? कुछ लोग
मदिरा को अमृत समझते है।
खुशी में मदिरा का चाहत रखते,
गम में सिर्फ मदिरा ही जचते है।
ना जाने क्यों? कुछ लोग,
मदिरा को अमृत समझते है।
मदिरा के लिए कैसे-कैसे,
झूठे बहाने बनाते है।
ना जाने क्यों? कुछ लोग
मदिरा को अमृत समझते है।
किसी की शादी हो या मातम,
उसे मिलती है मदिरा से ही दम।
शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)