सीख लिया - कविता - चीनू गिरि

हमने चुप रहना सीख लिया ,
दर्द हंसकर सहना सीख लिया !
अब तन्हाई से डर नही लगता ,
खुद से बात करना सीख लिया !
एक एक करके सब सपने टुट गये ,
दिल को बहलाना सीख लिया !
महफिल में सब दोस्तों को हंसाकर ,
हमने अकेले मे रोना सीख लिया !
तबियत कैसी भी हो अच्छी हुं कह देती हुं,
अब हमने झुठ बोलना सीख लिया !

चीनू गिरि - देहरादून (उत्तराखंड)

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