मोहे तेरी याद बहुत आये - कविता - चीनू गिरि

हे माधव , हे केशव 
मीरा के गिरधर ,
राधा के कान्हा ,
तेरी तो तू ही जाने ,
मेरा दिल तेरा दिवाना !
हे देवाधिदेव , हे वासुदेव
मोहे तेरी याद बहुत आये !

हे मुरलीधर , हे वंशीधर
लोग पागल कहने लगे ,
आंखों से आंसु भी बहने लगे !
डूब गई तेरी भक्ति मे ,
लोग देख के दूसरी मीरा कहने लगे !
हे मुरली मनोहर , हे मनोहर
मोहे तेरी याद बहुत आये !

हे कमल नयन , हे मनमोहन
मोह लिया तेरी मोहिनी छवि ने ,
तेरे नयनों के सागर मे डूबे गये !
मेरे कृष्णा हो तुम !
मेरे गोविँद हो तुम !
चले आओ तुझे दिल पुकारे !
हे सुदर्शन , हे मधुसूदन
मोहे तेरी याद बहुत आये !

हे कमलनाथ , हे पद्मनाभ
मै तेरी शरण मे हुं ,
तुझपे  अपनी कृपा दृष्टि कर दो !
अपनी भक्ति का रस पिला दो !
मेरा ये जन्म सफल बना दो !
सुबह शाम तेरे भजन हो ,
मुंह खुले तो बस तेरा नाम निकले !
हे जगन्नाथ , हे वैकुंठनाथ
मोहे तेरी याद बहुत आये !

हे द्वारकाधीश , हे धर्माध्यक्ष
जाने कब सांसो का पिंजरा टूट जाये ,
मिल जाये तुम्हारी शरण दिल ये चाहे !
मेरे मन मे मेरी आत्मा मे तुम हो ,
जब भी जन्म लू तेरी भक्त कहलाऊ !
हरे कृष्णा , हरे कृष्णा मन जपे जाये !
हे जगदीशा , हे ऋषिकेश
मोहे तेरी याद बहुत आये !

चीनू गिरि - देहरादून (उत्तराखंड)

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