पत्थर टूट जायेगा - कविता - शेखर कुमार रंजन

तू फेक पत्थर सीने पर,
पत्थर टूट जाएगा
टूटे हुए पत्थर के,
अंश भी छूट जाएगा।

टूटे हुए पत्थर को,
छूकर जरा तू देख ले
यह पत्थर या मोम है,
हाँ यह पत्थर ही मोम है।

यह वही पत्थर है,
जो सीने से टकराया है
सीने की गर्मी से,
पत्थर मोम बन आया है।

ठंडा न होने देना इस मोम को,
वरना फिर पत्थर बन जायेगा
फिर मोम बनाने के लिए,
क्या? सीने शेखर का लाएगा।

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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