मदिर मिलन - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला

चन्दा और चकोर मिलेंगे 
आज   सुहानी रात में ।

अपना भी तो मदिर मिलन है,
फूलों  की  बरसात  में ।

जग से छुपकर आयी प्रीतम,
दिल   लायी  सौगात  में ।

सीने से तुम मुझे लगा लो ,
लो हाथ हमारा  हाथ  में ।


नयनों की डोली ले आओ ,
लेकर  जाओ   साथ  में ।

सच कहती हूँ प्यार लुटाऊँ ,
सुबह  शाम  दिन रात  में ।

नहला दो तुम आज प्यार से ,
बहके से   जज्बात  में ।

तुम बिन रहा न जाये प्रीतम,
चैन न  दिन ना  रात  में ।

दूल्हा बन ले जाओ अब तो,
जनम  जनम  के साथ मे ।

चन्दा और चकोर मिलेंगे ,
आज  सुहानी  रात  मे ।

सुषमा दीक्षित शुक्ला
राजाजीपुरम , लखनऊ (उ०प्र०)

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