लॉक डाउन मे श्रमिकों की कमी के चलते उत्पादन शुरू करना बड़ी चुनौती हैं - लेख - सुषमा दिक्षित शुक्ला


कोविड-19 की महामारी के चलते लगा लॉक डाउन मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर के छोटे, मझोले एसएमई एवं बड़े उत्पादन स्रोतों पर संकट बनकर टूट पड़ा है ।लॉक डाउन की घोषणा के बाद पूरे देश  के लगभग चार करोड़ प्रवासी श्रमिक अपने घर के लिए प्रस्थान कर गए थे। अब सरकार ने कुछ उद्योग इकाइयों में उत्पादन शुरू करने की अनुमति दी ,तो श्रमिकों की किल्लत सरकार के लिए बड़ा संकट बन गई है । श्रमिकों की किल्लत को लेकर सभी इकाइयां आशंकित हैं उन्हें लग रहा है कि कितने कर्मचारी पता नहीं कब तक वापस आएंगे क्योंकि हालात तब तक सामान्य नहीं होते जब तक उनका लौटना मुश्किल लग रहा है। एक और डर है कि उनके चलते जो मजदूर चले गए उनका वापस आना मुश्किल है ,और जो नहीं अभी गए वह भी साधन मिलते ही अपने घर वापस जा रहे हैं ।
कुछ कंपनियों ने तो अपने कर्मचारियों को रखा हुआ है लेकिन ऐसी कंपनियों की संख्या बहुत कम है ,कच्चे माल  की सप्लाई की चैन भी टूट गई है। उद्योग जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि हालात सामान्य होने में चार छः महीने लग सकते हैं ऐसे में बहुत सी कंपनियों के सर्वाइवल का संकट आ गया है। तमाम इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट ठप हो गए हैं और यह सब सामान्य होने में 8 महीने लग सकते हैं या और भी ज्यादा ।

90 फ़ीसदी मजदूर काम बंद होने से अपने मूल राज्य वापस जा चुके हैं । कई फैक्ट्रियां तो यहां तक तैयार हैं कि मजदूरों को घर से वापस लाने ले जाने के खर्चा उठा कर वापस बुला लेगी, क्योंकि फैक्ट्री बंद होने के खर्चे से ज्यादा नुकसान होगा । लाने ले जाने के खर्चे में कम ही में निपट जाएंगे ।
एक तरफ जहां प्रशासन ने मंजूरी दी वहीं श्रमिकों की कमी के कारण उत्पादन होना बेहद मुश्किल हो रहा है ।

सुषमा दिक्षित शुक्ला

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos