मिलकर साथ लड़ेंगे तो विजय हमारी निश्चित है
अपने अपने घर मे रहकर जंग जीतना निश्चित है
कुछ दिन की और बात बची है फिर से मिलेंगे हम
जब तक न ये भागे वायरस लड़ने का रखते हैं दम
माना कि कुछ काम अधूरे हुए पड़े हैं हम सबके
धैर्य रखेंगें तो निश्चित ही काम पूरे होंगे हम सबके
जगह जगह पर हत्यारा ये वायरस फैल रहा है
आर्थिक तंगी बहुत गरीबी को हर इंसा झेल रहा है
माना हमने भूख सही और पैदल भटका इंसान है
लेकिन नई नश्लो की खातिर ये अपना बलिदान है
मेरा नमन बार बार वंदन है भारत माँ के लालों को
शीश झुकाते नम्र निवेदन जान बचाने बालो को
कवि प्रशांत कौरवगाडरवारा मध्यप्रदेश