क्या पसीना खूँ बहा देंगें मियाँ
आपकी महफ़िल सजा देंगें मियाँ
चाहते हैं रोटियाँ दो, गर मिलें
दीप क्या हम घर जला देंगें मियाँ
एक टूटी सी है थाली खाली है
जब कहोगे हम बजा देंगें मियाँ
सुन पसे-दीवार ऐसे लोग हैं
सर तुम्हारा भी झुका देंगें मियाँ
नाखुदाओं से रक़ाबत छोड़ दे
ये सफीनों को डुबा देंगें मियाँ
नफ़रती शमसीर आई जो कभी
प्यार के नग़में सुना देंगें मियाँ
हैं परिंदे जो कफ़स में आजकल
आसमाँ उनको दिखा देंगें मियाँ
मनजीत भोलाकुरुक्षेत्र, हरियाणा