संदेश
मिटे नायं दिहा माटिक मान - खोरठा कविता - विनय तिवारी
जखन हाम होसेक दुनियाएं डेग राखल हलों तखनी से तोर नारा, पोस्टर बैनर मीटिंग सिटिंग देख हलों आपन माटी, आपन भासा, आपन संस्कृति,आपन राइज के…
राष्ट्रनायक अटल बिहारी वाजपेयी जी - लेख - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह भारत रत्न माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म ग्वालियर में 25 दिसम्बर 1924 को श्रीमती कृष्णा एवं कृष्…
अटल बिहारी वाजपेयी - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
करूँ अटल सादर नमन, भारत रत्न प्रणाम। अर्पित है श्रद्धा सुमन, महापुरोधा नाम॥ कालजयी योद्धा प्रखर, राजनीति अतिश्रेष्ठ। विश्व महानायक शिख…
हे भारत माँ के सौम्य दूत - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव | अटल बिहारी वाजपेयी पर कविता
हे भारत माँ के सौम्य दूत, राष्ट्रवाद के अद्भुत सूत्र। अटल वचन, अडिग थे तुम, सच के पथ के सच्चे पूत। तुम्हारी वाणी में सरिता बहे, हर शब्…
उपेक्षित लोग - कविता - वेदप्रकाश 'उत्सव'
अनवरत करते प्रयत्न मात्र चाहते प्रेम का अंश–मात्र मधुवन की मधुशाला में बस करतें है संतोष हम उपेक्षित लोग। चाहते अपेक्षाओं की न्यूनता अ…
जो सच सबको बताना चाहता हूँ - ग़ज़ल - अरशद रसूल बदायूनी
अरकानः मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन तक़्तीः 1222 1222 122 जो सच सबको बताना चाहता हूँ वही ख़ुद से छुपाना चाहता हूँ तिरे ग़म की अमानत हैं ज…
तराने बहुत है - कविता - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'
गीतों की बहारें मधुर तराने बहुत है, बोल भावन से लोग मस्ताने बहुत हैं। सुर लय ताल अफ़साने ये ज़िंदगी के, बहती रसधार सावन सुहाने बहुत है। …
ड्यूटी की ब्यूटी - लघुकथा - प्रमोद कुमार
पिछले चुनाव का यात्रा वृतांत सुनकर ही मिश्रा जी ने इस बार संपन्न होनेवाले पंचायत चुनाव में पिताजी का नाम चुनाव ड्यूटी से हटवाने का फ़ैस…
सिर्फ़ मरते हैं यहाँ हिन्दू, मुसलमाँ या दलित - ग़ज़ल - सूर्य प्रकाश शर्मा 'सूर्या'
सिर्फ़ मरते हैं यहाँ हिन्दू, मुसलमाँ या दलित अब किसी भी जगह पर मरता नहीं है आदमी बँट गए अब तो स्वयं भगवान कितनी जाति में अब सभी की अर्…
कई रास्ते - कविता - प्रवीन 'पथिक'
कई रास्ते फूटते हैं; जीवन के उत्स से। कहीं कोयल मधुर राग छेड़ती है, तो कहीं घुप्प अंधेरा। कहीं झरनों का सुंदर संगीत है; तो कहीं झिंगुर…
इस इतिवार - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
इस इतिवार को निठल्ला बैठना चाहता हूॅं। बहुत पुरानी कीलें है, हृदय से चुनना चाहता हूॅं। जिन्हें कभी फिर बिनने का कहा था, उस समय व्यस्त…
यह समय एक क्रांति का है - कविता - श्रवण सिंह अहिरवार
यह समय एक क्रांति का है और क्रांति हममें ही होनी है जिसमें विद्रोही होंगे हमारे हाथ जो लिखेगें एक नई दास्ताँ दास्ताँ होगी हमारी-तुम्हा…
मन का नाप - नवगीत - सुशील शर्मा
तुमको अपना मन समझा था पर तुम भी तो निकले आस्तीन के साँप विषधर चारों ओर घूमते रहे फुसकते और भभकते कभी नहीं डर लगता था साथ तुम्हारा पाकर…
फ़ुर्सत से - कविता - मयंक द्विवेदी
फ़ुर्सत से शहर तुम भी आना गाँव पर जब भी आओ आना नंगे पाँव देखों तो सफ़र इन पगडंडियो का इस दो जून की जद्दोजहद का इस धूप में कडी मशक्कत का…
आँखों में नमी हैं - कविता - कर्मवीर 'बुडाना'
क्यूँ जा रहे हो यार, मुझमें क्या कमी हैं, झूठा नहीं हूँ मैं, देख, आँखों में नमी हैं। मेरे दिल में बह रही प्रेम की ठंडी बयारें, फिर भी …
इन चक्षुजल की वाणी है मौन - कविता - अनमोल
इन चक्षुजल की वाणी है मौन दबकर स्वर प्रवाहित जग में बाँध दिया है बंधन मुझमें, हूँ दूर कैसे, बस निज अश्रु रहे सदा सह पग-पग में; ले मृसढ…
राहों का अकेलापन - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
आसमान को देखूँ, पर रंग सभी धूमिल हैं, धरती से पूछूँ तो उत्तर बड़े निर्जीव हैं। हवा की सरगम भी अब शोर सी लगती है, मन की हर परत पर बस पी…
पछतावा - गीत - संजय राजभर 'समित'
आज बहुत पछताता हूॅं मैं, नाहक उसे रुलाया था। वो थी सच्ची प्रेम दिवानी, आख़िर क्यों ठुकराया था? लिए निवेदन घुटनों के बल, बाॅंवरी गिड़गिड…
चक्रव्यूह - कविता - अनिल पुरबा 'अहमक'
रास्तों में कई सवाल मिले, कोई पुछे कब, कोई पुछे कौन, कोई पुछे कैसे, कोई पुछे कहॉं... इन सवालों के चक्रव्यूह में फँसा मैं, कभी जयद्रतों…
शब्दों में मान मर्यादा - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना'
शब्दों में ढकी मान मर्यादा, शब्द बिना जीवन ये आधा। शब्द कहीं कम हैं कहीं ज़्यादा, शब्दों से ही सारी बाधा। शब्द ही तीर, शब्दों में पीड़,…
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