संदेश
हर कविता के बाद - कविता - प्रवीन 'पथिक'
हर कविता के बाद– कवि की हत्या होती है। हज़ार मरण वह मरता है; और उसे सहर्ष स्वीकार करना पड़ता है। उसकी आत्मा हर अंतर्द्वंद्व के बाद– प्…
हम दोनों का यूँ बार-बार लड़ना - कविता - तेज नारायण राय
हम दोनों का आपस में बार-बार लड़ना छोटी-छोटी बातों को तिल का ताड़ बनाना एक दूसरे को उँगली दिखाना क्या अच्छा लगता है? क्या ऐसा नहीं लगता…
लोग अब जग रहें हैं - कविता - इला कुमारी
लोग अब जग रहें हैं अपनी ही नींद से अपनी ही नींद में होने वाले भयानक स्वप्न से। हाँ, अब वे जग रहें हैं अपनी ही नींद में दख़ल देने वाले अ…
रिटायरमेंट - कविता - रमेश चन्द्र यादव | Retirement Poem Hindi
उगता सूरज लगता सुन्दर, सबके मन को भाता है। पर ढलता सूरज भी देखो, सन्देश नया दे जाता है। दिनभर तपो परोपकार में, फिर धीरे-धीरे ढल जाओ। ख़…
नारी: कोमलांगी नहीं दृढ़ - कविता - पी॰ अतुल 'बेतौल'
एक झलक मिली थी तुम्हारी, चिंताओं की लकीरें दिखी भारी। ख़ुशियों पर धूल जमी है क्यों, धूमिल क्यों दिख रही ख़ुशगवारी। फिर आज बहुत विकल अकेल…
रक्षा बन्धन या राखी - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | रक्षाबंधन पर दोहे
आज श्रावणी पूर्णिमा, राखी का त्यौहार। उत्सव भाई बहन का, प्रेम सरित रसधार॥ कच्चा धागा प्रेम का, पक्का धागा प्रीति। भाई बहन अद्भुत मिलन,…
बोझ, ज़िम्मेदारी और राखी का धागा - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
है बोझ बड़ा भारी सिर पर, ज़िम्मेदारियों का भार उठाए, हर साँस में है एक नई जंग, पर दिल है तुम्हारे नाम का साए। नाराज़ न होना, बहना मेरी, …
राखी: रिश्तों का बंधन - कविता - आर॰ सी॰ यादव | रक्षाबंधन पर कविता
आशा और विश्वास समेटे अमिट प्रेम का बंधन है। आत्मीय रिश्तों का मधुबन प्यारा रक्षाबंधन है। भाई के हाथों में सजती रेशम के धागे की डोर। बह…
राखी का फ़र्ज़ - कहानी - सुशील शर्मा | रक्षाबंधन पर कहानी
प्रकाश को आज अपनी बहिन के पास राखी बँधवाने जाना था। उसका मन बहुत निराश था जब भी प्रकाश अपनी बहिन के घर जाता था उसके अंदर एक लघुता की भ…
बहन-भाई के प्यार का नाम है रक्षाबंधन - लेख - डॉ॰ जय महलवाल 'अनजान'
हमारे भारतवर्ष में हर त्यौहार की अपनी महता है। भारतवर्ष में रक्षाबंधन के त्यौहार को भाई बहन के प्यार के रूप में बहुत ही स्नेह और आदरपू…
रक्षाबंधन का त्यौहार - कविता - रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़'
ये रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने को हैं हम तैयार हो न अब मुझसे इंतज़ार देखो मैं कब से हूँ बेक़रार ये रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने को हैं हम…
मार डालेंगी हमें उनकी यही अठखेलियाँ - ग़ज़ल - सैय्यद शारिक़ 'अक्स'
अरकान : फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 2122 212 मार डालेंगी हमें उनकी यही अठखेलियाँ, उनका यूँ मिलना के रखना …
आधुनिकीकरण का समय - कविता - निधि चंद्रा
एक ऐसा समय आया, जब आधुनिकीकरण की रफ़्तार बढ़ी, समय के साथ चलते-चलते, इसने नए युग की नींव गढ़ी, विकास के साथ-साथ इसने, बहुत कुछ बदल डाला…
भारतीय महीने - लेख - यश वट
क्या हमारी नई पीढ़ी जानती है हमारे भारतीय महीने? "संग की सहेली है सावन का मेरा झूलणा, नांनी नांनी बुंदिया है सावन का मेरा झूलणा&q…
वो कहती है कि - कविता - सत्यकाम
वो कहती है कि, अभी साथ हूँ तुम्हारे, पर आख़िरी वक्त तक की उम्मीद ना रखना, क्योंकि आज और कल में फ़र्क़ है थोड़ा। वो कहती है कि, साथ हूँ मैं…
कैसे आवाज़ हमारी वो दबा सकते हैं - ग़ज़ल - अरशद रसूल
अरकान : फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1122 1122 22 कैसे आवाज़ हमारी वो दबा सकते हैं, हम अगर चाहें तो कोहराम मचा सकते है…
रक्षाबंधन पर शायरी | Raksha Bandhan Shayari
रक्षाबंधन का त्यौहार हमारे समाज और संस्कृति में भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की अनमोल भावना को व्यक्त करता है। यह पर्व न केवल भाई-बहन के ब…
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