संदेश
परम्परागत और वैज्ञानिक कृषि जल संकट और जीवनशैली - लेख - श्याम नन्दन पाण्डेय
भारत ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में बढ़ती हुई जनसंख्या और और कृषि योग्य भूमि की कमी से खाद्य संकट संभावना बढ़ रही है और इसकी आपूर्ति के ल…
बढ़ती भूख - कविता - महेश कुमार हरियाणवी
अन्न के ही अन्नदानों भारती के खलिहानों, धरती पुकारती है बैठ मत जाइए। बोल रही सर पर महँगाई घर पर, लुट रही लाज आज फिर से बचाइए। जिनसे है…
उम्मीद की उपज - कविता - गोलेन्द्र पटेल
उठो वत्स! भोर से ही ज़िंदगी का बोझ ढोना किसान होने की पहली शर्त है। धान उगा प्राण उगा मुस्कान उगी पहचान उगी और उग रही उम्मीद की किरण सु…
स्वर्णभूमि - लघुकथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
अबकी बार फूलमती के खेत में गेहूँ की लहलहाती फ़सल पूरे वातावरण को सुगंधित कर रही थी, क्योंकि तराई में बसे गाँव भीखमपुर की विधवा फूलमती न…
किसान - कविता - नूर फातिमा खातून "नूरी"
दिन रात मेहनत करता है किसान हर हाल में डटा रहता है किसान। तपती धूप में खेत की खुदाई करें, शीतलहर में फ़सल की सिंचाई करें, तैयार फ़सल…
प्रेम की फ़सल - कहानी - रोहित गुस्ताख़
वक़्त के साथ सोहन भी बड़ा हो रहा था, जिस क़बीले में वो रहता था। वहाँ अक्सर लड़ाई-झगड़ा, गाली गलौज लोग एक दूसरे को बिल्कुल नहीं भाते थे। आपस…