संदेश
विधा/विषय "ख़त"
एक ख़त - मोनोलॉग - अशहर आलम
सोमवार, अगस्त 22, 2022
आज भी जब कभी यूनिवर्सिटी के रास्ते से गुज़रता हूँ, तो सारे गुज़रे पल मेरी आँखों के सामने नुमाया होने लगते हैं। वह सब जो मैंने तुम्हें पह…
जब भी मैं तुम्हें याद करती हूँ - कविता - शालिनी तिवारी
रविवार, जुलाई 17, 2022
तुम्हें पता हैं जब भी मैं तुम्हें याद करती हूँ, तो ऐसे ही तुम्हें ख़त लिखने लगती हूँ। और साथ ही ख़ुद से यह वादा भी करती हूँ कि हमेशा इन …
क़ुदरत की चिट्ठी - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सोमवार, जून 07, 2021
हे! इंसान हे महामानव!! तुम्हें एक बात कहनी थी। मैं क़ुदरत, लिख रही हूँ, आज एक ख़त तुम्हारे नाम। मैं ठहरी तुम्हारी माँ जैसी, जो अप्रतिम प…
श्याम की पाती - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
सोमवार, फ़रवरी 08, 2021
पढ़ के सुना दे ले सखी, मेरे श्याम की पाती, ऐसी रमी प्यार में कि श्याम श्याम के सिवा, और न कुछ कह सुन पाती। याद किया कितना, हमको बतला द…
प्रेयसी का ख़त - कविता - मनोज यादव
सोमवार, नवंबर 16, 2020
बंद लिफाफे में आया, मेरी प्रेयसी का ख़त छुपते छुपाते आया, मेरी प्रेयसी का ख़त। लिफाफे की कोर-कोर कुंद हो गयी थी लगता है सबसे लड़ के आया, …