संदेश
विधा/विषय "सेवा"
सेवा करो आदमी की - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
सोमवार, अक्तूबर 19, 2020
एक अजीबो गरीब वाकया है कि कई लोग आँखों के होते हुए भी अन्धे बनते है विवेक के होते हुए लोग चेतना शून्य है जीवन के होते हुए भ…
वृद्ध-जन-सेवा हो, जीवन अपना - कविता - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
शनिवार, मई 30, 2020
वृद्ध -जन- सेवा हो, जीवन अपना। सम्मान सदा हो , हैं जिनकी रचना।। समर्पित सेवा में,प्राण निछावर हों, अब चाहे दर्द भले ही हो कितना ।…
सेवा इंसान को बनाती महान - कविता - सुषमा दिक्षित शुक्ला
गुरुवार, मई 28, 2020
जग में सेवा करने वाले, ही महान बन पाए हैं । मानो सेवा की खातिर ही , वह धरती पर आये हैं । मानव सेवा से बढकर , तो कोई कर्म नही…