संदेश
विधा/विषय "दौर"
बदलता दौर - कविता - बिंदेश कुमार झा
रविवार, सितंबर 11, 2022
कल जो भगा रहा था मुझे, आज वह मुझे बुला रहा है। कल जिस ने रुलाया था, आज वही हँसा रहा है। यह ज़िंदगी का बदलता दौर है, जहाँ परिवर्तन की शि…
बदलता दौर - कविता - कर्मवीर सिरोवा
बुधवार, दिसंबर 16, 2020
सो गया हूँ मोबाईल में वेब सीरीज देखकर, जगा दे सुब्ह, वो मंज़िल की पुकार कहाँ है। वर्तमान तो पढ़ रहा हैं स्माईल-ओ-यूट्यूब से, पर स्कूल मे…
आज का दौर - कविता - सूर्य मणि दूबे "सूर्य"
शुक्रवार, अक्तूबर 16, 2020
आज के दौर की बातें कर लें जुबा कुछ कहती कुछ दिल नें छुपाई है किसी की टोपी किसी के सर, किसी और ने पहनाई है, किसी का प्यार, किसी की पसन…
ये दौर कब जाएगा - कविता - अरविन्द कालमा
गुरुवार, अक्तूबर 15, 2020
कब यहाँ जातिवाद खत्म हो पाएगा कब मानव सुखी जीवन जी पाएगा। इस दौर में मानवता शर्मसार हो रही पता नहीं ये दौर कब जाएगा।। इस दौर ने झेली ब…