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थे कभी हम-नफ़स हमराहों की तरह - ग़ज़ल - सुनील खेड़ीवाल 'सुराज'
थे कभी हम-नफ़स हमराहों की तरह मिलते अब महज़ वो बेगानों की तरह इश्क़ की राह ना थी मुक्कमल कभी बे-क़बूल अनसुलझे अफ़सानों की तरह मुद्दतों स…
मिट्टी में भी खेलते थे, बारिशों में भी नहाते थे - ग़ज़ल - रोहित सैनी | बचपन पर ग़ज़ल
अरकान: फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ा तक़ती: 2122 2122 2122 2122 2 मिट्टी में भी खेलते थे, बारिशों में भी नहाते थे जून …
जो सच सबको बताना चाहता हूँ - ग़ज़ल - अरशद रसूल बदायूनी
अरकानः मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन तक़्तीः 1222 1222 122 जो सच सबको बताना चाहता हूँ वही ख़ुद से छुपाना चाहता हूँ तिरे ग़म की अमानत हैं ज…
सिर्फ़ मरते हैं यहाँ हिन्दू, मुसलमाँ या दलित - ग़ज़ल - सूर्य प्रकाश शर्मा 'सूर्या'
सिर्फ़ मरते हैं यहाँ हिन्दू, मुसलमाँ या दलित अब किसी भी जगह पर मरता नहीं है आदमी बँट गए अब तो स्वयं भगवान कितनी जाति में अब सभी की अर्…
सीने से जो लगाता था तस्वीर क्या हुई - ग़ज़ल - ममता गुप्ता 'नाज'
सीने से जो लगाता था तस्वीर क्या हुई, दिल में बसी थी तेरे जो वो हीर क्या हुई। लेने लगे हैं काम ज़ुबाँ से वो आजकल, उनकी निगाहे नाज़ की शमश…
मौसम है हर साल बदलते रहता है - ग़ज़ल - हरीश पटेल 'हर'
मौसम है हर साल बदलते रहता है, जैसे कपटी चाल बदलते रहता है। एक तरह से कब जीवन संगीत बजा, हर पल यह लय ताल बदलते रहता है। गिर जाएगा टूट, …
मार डालेंगी हमें उनकी यही अठखेलियाँ - ग़ज़ल - सैय्यद शारिक़ 'अक्स'
अरकान : फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 2122 212 मार डालेंगी हमें उनकी यही अठखेलियाँ, उनका यूँ मिलना के रखना …
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