ममता गुप्ता 'नाज' - उतरौला, बलरामपुर (उत्तर प्रदेश)
सीने से जो लगाता था तस्वीर क्या हुई - ग़ज़ल - ममता गुप्ता 'नाज'
बुधवार, दिसंबर 11, 2024
सीने से जो लगाता था तस्वीर क्या हुई,
दिल में बसी थी तेरे जो वो हीर क्या हुई।
लेने लगे हैं काम ज़ुबाँ से वो आजकल,
उनकी निगाहे नाज़ की शमशीर क्या हुई।
दीवार बन के जो थी खड़ी अपने दरमियाँ,
रस्मों रवायतों की वो ज़ंजीर क्या हुई।
नज़रें चुरा रहे हो मुहब्बत से किस लिए,
आँखों में जो वफ़ा की थी तहरीर क्या हुई।
रहने लगे हो साए से भी तुम मेरे परे,
कल तक भरोसे की थी जो तक़रीर क्या हुई।
अब तक लुटा रहे थे वफ़ा के जो नाम पर,
दिल मे भरी वो प्यार की जागीर क्या हुई।
जो मेरे साथ बन के मुहाफ़िज़ रही सदा,
अब तेरी उन दुआओं की तासीर क्या हुई।
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