संदेश
विधा/विषय "ग़रीब"
अभिलाष कहाँ आँसू जीवन - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
सोमवार, अगस्त 31, 2020
गरीबी के आँसू की धारा, अविरत प्रवहित अवसाद कहे। लोकतन्त्र नेता का नारा, दीन हीन स्वयं हमराह कहे। रनि…
गरीब की व्यथा - कविता - मधुस्मिता सेनापति
शनिवार, अगस्त 22, 2020
जीते हैं हम गरीबी में सोते हैं हम फुटपाथों पर खाने के लिए, दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती, फिर भी रहते हैं हम टूटे हुए अध- जले …
गरीबों की गरीमा - कविता - शेखर कुमार रंजन
रविवार, जुलाई 12, 2020
गरीबों गरीबी की गरीमा को जानों ये गरिमा हमारी गरीबी की है। ना मैं गरीब हूँ ना तुम गरीब हो कोई गरीब हैं, तो दिल गरीब है। …
निर्धनता अभिशाप नहीं होती - कहानी - शेखर कुमार रंजन
गुरुवार, जून 11, 2020
गरीब के बच्चे खेल के आते है, तो पहले अपना चुल्हा देखता है, पर चुल्हे को देख ऐसे ही सो जाते है। वह एक बार भी नहीं कहता कि माँ खाना…
दिनों का फेर - कविता - भरत कोराणा
मंगलवार, जून 09, 2020
मै गरीब था जनाब कोसों तक राह पर तलवे फोड़ते गाँव आया यह दिनों का फेर था। हम बैठें है चिड़ियाघर के उदास हाथी की तरह जिसे बाँ…