गरीबों की गरीमा - कविता - शेखर कुमार रंजन

गरीबों गरीबी की गरीमा को जानों
ये गरिमा हमारी गरीबी की है।      

ना मैं गरीब हूँ ना तुम गरीब हो
कोई गरीब हैं, तो दिल गरीब है।

गरीबों गरीबी की गरीमा को जानों
ये गरीमा हमारी गरीबी की है।

गरीबी की हसरतें जिसने रखी है
जीवन को सही से वहीं परखा हैं।

गरीबी को जिसने भी देखा है
मेहनत वाली रेखा को खींचा हैं।

गरीब हो तुम तो लज्जा न करना
गरीबी में डूबकर मजा खूब लेना।

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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