संदेश
विधा/विषय "क़ुर्बानी"
कितने वीर क़ुर्बान हुए - कविता - डॉ॰ कंचन जैन 'स्वर्णा'
रविवार, अगस्त 13, 2023
आज़ादी की ख़ातिर कितने वीर क़ुर्बान हुए, कितनों ने अपने घर के दीए खोए, कितने ही शहीद हुए। यूँ ही नहीं मिली आज़ादी, हे भारतवासीयों! कितनी ह…
ज़रा याद करो क़ुर्बानी - कविता - विनय "विनम्र"
शनिवार, जनवरी 16, 2021
भयानक मंज़रों के दौर से, गुज़रा हुआ अपना वतन, ज़ालिमों के ज़ुल्म से, लूटा हुआ है ये चमन, बस शिकस्तों पे शिकस्तों, का धरा पर अवतरण, कुछ शही…