संदेश
हिन्दी - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
कभी छाया में कभी प्रयोग की धूप में बैठ गई। रीति के कोमल भावों से, बिहारी की गहराई में, घनानंद की भावुकता का, कम्बल ओढ़ के बैठ गई। कबीर…
गुड़ शहद और मिश्री जैसी मीठी अपनी भाषा है - ग़ज़ल - कमल पुरोहित 'अपरिचित'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 2122 212 गुड़ शहद और मिश्री जैसी मीठी अपनी भाषा है, शुद्ध सुंदर अति म…
हिंदी भाषा - कुण्डलिया छंद - सुशील शर्मा
1 लहराती द्युति दामनी, घोल मधुरमय बोल। हिंदी अविचल पावनी, भाषा है अनमोल॥ भाषा है अनमोल, कोटि जन पूजित हिंदी। फगुवा रंग बहार, गगन मे…
मैं हिंदी हूँ - कविता - सुनील गुप्ता
मैं हिंदी हूँ, भाषा मैं सिखाती हूँ। जन्म देकर संस्कृत ने मुझको, अपनी छाँव में पाला है, ताज बनाकर अपने मुकुट का, हिंद ने मुझे संभाला है…
हिंदी - कविता - इन्द्र प्रसाद
यह संस्कार की भाषा है, इससे उन्नति की आशा है। यह भरती गागर सागर में, इसकी ऐसी परिभाषा है। यह सूर कबीरा की भाषा, यह तुलसी मीरा की भाषा।…
हिन्दी! तुम सबसे सुंदरतम - कविता - राघवेंद्र सिंह
मधुमिश्रित, कलित, पुरातन तुम, भारत के अंतस निवासिनी। हो मातृ संस्कृत से उद्धृत, रति सी तुम कोमल सुहासिनी। हो दिव्य भाल पर बिंदु सरिस, …
हिन्दी - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा
मिली एक महिला कल मुझको, सुस्त और रोई सी थी किन्ही दुखों के कारण वो, अपने ग़म में खोई सी थी। माथे पर उसके मुकुट सजा, जर्जर था बहुत पुरा…