गुड़ शहद और मिश्री जैसी मीठी अपनी भाषा है - ग़ज़ल - कमल पुरोहित 'अपरिचित'

गुड़ शहद और मिश्री जैसी मीठी अपनी भाषा है - ग़ज़ल - कमल पुरोहित 'अपरिचित' | Ghazal - Gud Shahad Aur Mishree Jaisi Meethee Apani Hindi. हिन्दी भाषा पर ग़ज़ल
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती : 2122  2122  2122  212

गुड़ शहद और मिश्री जैसी मीठी अपनी भाषा है, 
शुद्ध सुंदर अति मनोहर हिंदी अपनी भाषा है। 

शब्द का जो रूप होता वैसा ही लिखती है ये, 
युग युगों से चल रही ये प्यारी अपनी भाषा है। 

यूँ तो हम एक से अधिक भाषा सभी हैं जानते, 
पर सभी भाषाओं से भी अच्छी अपनी भाषा है। 

शब्द हैं एक ब्रह्म जो समझें मिलेगा मोक्ष तब, 
शब्द का हर अर्थ भी समझाती अपनी भाषा है। 

अवधी मगही भोजपुरी मालवा सब हिंदी है, 
देश को समृद्ध बनाती सारी अपनी भाषा है। 

देश के हर कोने में कितनी ही भाषाएँ मिलें, 
गर्व हमको है कि ये सारी ही अपनी भाषा है। 

कमल पुरोहित 'अपरिचित' - कोलकाता (पश्चिम बंगाल)

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