हिन्दी - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा

हिन्दी - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा | Hindi Kavita - Hindi - Hemant Kumar Sharma. Poetry About Hindi Language. हिन्दी भाषा पर कविता
कभी छाया में
कभी प्रयोग की धूप में बैठ गई।

रीति के कोमल भावों से,
बिहारी की गहराई में,
घनानंद की भावुकता का,
कम्बल ओढ़ के बैठ गई।

कबीर के तीक्ष्ण बाणों का,
मीरा की विरह पीड़ा में,
सहजो के काव्य रहस्य का,
कण्ठहार सँजो के बैठ गई।

बलिदानों की वेदी से,
शोषितों की वाणी में,
हल की मुँह-ज़बानी का,
शृंगार करा के बैठ गई।

चलचित्रों की भाषा से,
गीतों में मचलते भावों में,
प्रेमी जनों के हृदय का,
कथ्य सुना के बैठ गई।

वीरों के छंदों से,
भारत के दुर्दिन में,
अपनों के छल का,
संताप बता के बैठ गई।

तुलसी की गाती चौपाइयों से,
सूर की एकनिष्ठ भक्ति में,
जायसी के काव्य का,
आधार दिखा के बैठ गई।

अलकों के गहरे फंदों से,
सम पीड़ा के सम्बन्धों में,
नवीन प्रगति का,
आशा दीप जला के बैठ गई।

दयानंद के गद्य की तेजस्विता से,
एक सन्त दिखा के निराला में,
और अन्य अनगिनत प्रयास का,
हिन्दी व्याख्यान कर के श्रेष्ठ हुई।

हेमंत कुमार शर्मा - कोना, नानकपुर (हरियाणा)

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