संदेश
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ - गीत - समुन्दर सिंह पंवार
छोड्यो पुराणी बातां नै इब इकीसवीं सदी आई बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ सबकी इसमै भलाई बेटी हैं सृष्टि का आधार बिन बेटी ना …
समय समय की बात - ग़ज़ल - समुन्दर सिंह पंवार
समय - समय की बात हों सैं कदे दिन बड़े कदे रात हों सैं कदे पड़ज्या भयंकर सूखा कदे बाढ़ के हालात हों सैं कदे तारीफा की लगै झड़ी कद…
अन्न दाता भगवान - लोकगीत - समुन्दर सिंह पंवार
दिन रात मेहनत करकै अन्न उगावे बेअनुमान बार बार प्रणाम तनै मेरा अन्नदाता भगवान गर्मी सर्दी सहता है तू सहता भूख और प्यास एक दिन क…
कोरोना तेरे कोरोना हो जा - हरियाणवी कविता - राहुल जाटू
कोरोना तेरे कोरोना हो जा जाइयो तेरा नाश रे तेरे डर ते बैठ सके ना पड़ोसी-पड़ोसी के पास रे तेक जरा सी खाँसी हो जा तेरा डर खाई जावे…
कोरोना का कहर - हरियाणवी कविता - समुन्दर सिंह पंवार
रै सुणले कोरोना बदकार, तनै यो नचा दिया संसार ठप्प कर दिये काम और धंधे तनै घणे खा लिये बन्दे मची चोगरदै हा -हाकार , तनै यो नचा…
जीन्स का शौक़ राखण आली - हरियाणवी कविता - राहुल जाटू
जीन्स का शौक़ राखण आली आज साड़ी की सोचण लागी पिज़्ज़ा बर्गर खावण आली आज रोटी पोवण लागी काल तक जो बावळी सी बात करे थी आज वा साणी सा…