अन्न दाता भगवान - लोकगीत - समुन्दर सिंह पंवार


दिन रात मेहनत करकै अन्न उगावे बेअनुमान
बार बार प्रणाम तनै मेरा अन्नदाता भगवान

गर्मी सर्दी सहता है तू सहता भूख और प्यास
एक दिन की छुटी कोन्या काम करता बारू मास
सुख का कोन्या सांस तन्ने तेरी रहै आफत मै जान

न्हाण धौन की फुरसत कोन्या तेरा रहता भुंडा हाल
कदे बाढ़ बीमारी आज्या कदे पड़ जाता अकाल
करता कोन्या कोय तेरा ख्याल न्यूए होता फिरै बीरान

भारत माँ का पुत कमाऊं तू अन्न के भरै भंडार हो
सबका पेट भरणइए आज तू खुद होरया लाचार हो
रखती ना सरकार हो तेरा थोड़ा सा भी ध्यान

समुन्दर सिंह कहै और नही कोय तेरे जिसा खुभाति
देख कै तेरी हालत मेरी फट जावै सै छाती
कोय कोन्या तेरा साथी सब तन्ने लागरे खाण


समुन्दर सिंह पंवार

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos