संदेश
अमर हुए जाँबाज़ - कुण्डलिया छंद - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
सुकुमा की धरती हुई, आज रक्त से लाल। परिजन सारे रो रहे, होकर के बेहाल।। होकर के बेहाल, तड़पते घायल सैनिक। ज़ालिम चलते चाल, हया भी आज गई ब…
वीरगाथा शहीदों की- कविता - मिथलेश वर्मा
देश सेवा इबादत हो गया, अब हद-ए-शहादत हो गया। श्रद्धांजलि सबकी आदत हो गई।। चिराग़ था किसी घर का, देखो आज खो गया। भारती की सेवा करते, क़ुर…
शहीदों को नमन - कविता - विनय "विनम्र"
अपने खून से जो सींचते हैं मातृभूमि को सदा, ग़म न उनको था तनिक जान की परवाह का, आग के शोलों में तप फ़ौलाद का सीना लिये, जिए तो माँ भारती,…
पुलवामा के अमर शहीद - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
पुलवामा के अमर शहीदों, तुमको भुला नहीं सकते। त्याग और बलिदान तुम्हारा, उसको भुला नहीं सकते। वैलेंटाइन डे के दिन जब, मातृभूमि हित प्राण…
पुलवामा हमला - कविता - नीरज सिंह कर्दम
कभी नहीं संघर्ष से इतिहास हमारा हारा। शहीद हुए जो वीर जवाँ, उन्हें नमन हमारा। पुलवामा हमले में सड़कें वहाँ की लहुलुहान हुई। किसी ने खो…
नमन अमर सपूत - कविता - रमाकांत सोनी
हिमालय सा हौसला है, सागर सी गहराई है। क्रांति काल में वीरों ने, प्राणों की भेंट चढ़ाई है।। हँसते-हँसते झूल गए, वो क्रांतिवीर कमाल हु…
पुलवामा के अमर शहीद - कविता - आर. सी. यादव
धरा शांत है, व्योम मौन है नापाक कायरों की हरकत से। अमन-चैन को छीन रहा है नीच-क्रूर-ओछी फ़ितरत से।। धुमिल हुई रोशनी चंद्र की सूर्य किरण …