रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)
नमन अमर सपूत - कविता - रमाकांत सोनी
सोमवार, फ़रवरी 15, 2021
हिमालय सा हौसला है,
सागर सी गहराई है।
क्रांति काल में वीरों ने,
प्राणों की भेंट चढ़ाई है।।
हँसते-हँसते झूल गए,
वो क्रांतिवीर कमाल हुए।।
राजगुरु सुखदेव भगत सिंह,
भारत माँ के लाल हुए।।
हिम्मत बुलंद है अपनी,
पत्थर सी जान रखते हैं।।
क़दमों में धरती तो क्या,
आसमान रखते हैं।।
क्या आँख दिखाएगा को हमवतन परस्तों को।
हम सर पर कफ़न और हथेली पर अपनी जान रखते हैं।।
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