संदेश
आज मैं कुछ लिखना चाहता हूँ - कविता - शेख रहमत अली 'बस्तवी'
लिखते हैं सब, आज मैं भी कुछ लिखना चाहता हूँ। गूगल हो या अमेज़ॉन हर जगह बिकना चाहता हूँ। अदाकारी भी हो मुझमें व जुनूँन इस तरह का हो,…
कुमार विश्वास - कविता - राघवेंद्र सिंह
हिन्दी साहित्य पुरोधा, सरस्वती पुत्र, जीवन को काव्य साधना में समर्पित करने वाले कविराज डॉ॰ कुमार विश्वास जी के जन्मदिवस पर उन्हें समर्…
क्या तुमने कवि को देखा है? - कविता - राघवेंद्र सिंह
पूछ रहा है एक कवि, क्या तुमने कवि को देखा है? ऊपर से नीचे तक कैसा, क्या रवि के जैसी रेखा है? क्या है उसके हाथों में, क्या दुबला पतला द…
उठे जब भी कलम - कविता - ओम प्रकाश श्रीवास्तव 'ओम'
उठे जब भी कलम कुछ ऐसा लिखे, प्रभाव जिसका इस समाज में दिखे। कलम वह हथियार है जो वार तेज़ करती है, किसी गोले किसी बारूद से नहीं डरती है, …
प्रेमचंद - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
लमही बनारस में 31 जुलाई 1880 को जन्में अजायबराय आनंदी देवी सुत प्रेमचंद। धनपतराय नाम था उनका लेखन का नाम नवाबराय। हिंदी, उर्दू, फ़ारसी …
मैं लेखिका हूँ - कविता - आराधना प्रियदर्शनी
जब एहसासों का समंदर उमड़ा हो, जब जज़्बात करवट लेने लगते हैं। जब भावनाओं का सामंजस्य बढ़-चढ़कर, अपना आकार लेने लगते हैं।। जब कोई अपनी स…
लेखनी - कविता - रतन कुमार अगरवाला
उम्र के इस गुज़रते पड़ाव में, लिखना जब शुरू किया मैने। लेखनी से हुई दोस्ती मेरी, ज़िंदगी का नया रूप जिया मैने। भावों को शब्दों में पिरोय…