संदेश
साहित्यकार श्री सुधीर श्रीवास्तव - कविता - महेन्द्र सिंह राज
गोंडा जिले के बरसैनिया गाँव में स्व. श्री ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव और स्व. विमला देवी के पुत्र के रूप में सन 1969 में अवतरित मूर्धन्य स…
सुनो ना - लघुकथा - ज्योति सिन्हा
"सुनो ना... कुछ कहना है तुमसे" बोल कर, स्वाति अजय के पीछे चल पड़ी। अजय ने कहा - क्या है, ऐसे कैसे चलेगा हर वक़्त तुम्हारे दिम…
मैं कहीं भी होता हूँ - कविता - सुरेंद्र प्रजापति
मैं कभी भी, कहीं भी होता हूँ, ज़िम्मेवारियों के साथ होता हूँ। बच्चों की ज़रूरतें, गृहस्थी का बोझ, चाहे जहाँ भी होता हूँ, उत्तरदायित्वों …
शिवशरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - आलेख - विमल कुमार "प्रभाकर"
हिन्दी साहित्य के सुविख्यात वरिष्ठ कवि, लेखक, आलोचक, सुधी सम्पादक शिवशरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' समकालीन साहित्य में लोकप्रिय रच…
अश्रु शब्द - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
मैं कवि या कलमकार नहीं हूँ, आम इंसान हूँ। सुरों, विधाओं से न वास्ता है मेरा, मन की उद्दिग्नता को बस शब्द देता हूँ। गीत, ग़ज़ल, छंद, कवि…
कविता लेखन है कला - दोहा छंद - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
कविता लेखन है कला, विद्या का उपहार। कविगण करते हैं सदा, इस पर जान निसार।। मन के भीतर भाव हो, कर में कलम दवात। नयन युगल में स्वप्न हो, …
कलम चल पड़ती है मेरी - कविता - संदीप कुमार
बस कलम यूँ ही चल पड़ती है मेरी। राह में चलते कभी, किसी का दीदार कर। बेवफ़ाई में कभी, कभी किसी के प्यार पर। भीड़ में कभी, तो कभी रात की तन…