संदेश
बसंत ऋतु - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
सौंदर्यवान प्रकृति नई पुष्प सुसज्जित धरा हुई, चढ़कर अमर सज्जित हुए ईश्वर के चरणों मे जब जब, तब अमर बेल बढ़ती गई धरा पे जब हुआ आगमन, ब…
स्वर बिन सूना - कविता - विनय विश्वा
मन भावे है जीवन जोत जागे। कर वीणा हो सुर की गंगा बहे। ज्ञानदायनी हंसवाहनी माते तेरे बिना ये जग सूना लागे है। न सुर कंठे जगत लागे गूंगे…
शारदे वन्दना - विधाता छंद - अभिनव मिश्र "अदम्य"
तुम्हें कर जोड़कर माँ शारदे प्रणाम करता हूँ। हमें सुरताल दो माता तुम्हारा ध्यान करता हूँ। मिटाकर द्वेष माँ मेरे ह्रदय में प्रीत तू भर …
शारदे वन्दना - पंचचामर छंद - अभिनव मिश्र "अदम्य"
सुमातु ज्ञान दीजिये, दयालु देवि शारदे! मिटाय अंधकार को, प्रकाश को उबार दे!! जला सुदीप ज्ञान का, सुकंठ हंसवाहिनी! स्वभाव माधुरी भरा, रह…
माँ सरस्वती वंदना - कविता - विकाश बैनीवाल
हे माँ वीणापाणि हे माँ शारदे, दंभता का भार मेरा उतार दे। सद्बुद्धि दे मुझ अज्ञानी को, इतनी कृपा मुझ पर निसार दे। हे माँ वीणापाणि ह…
सरस्वती वंदना - कविता - अंकुर सिंह
हे विधादायिनी! हे हंसवाहिनी! करो अपनी कृपा अपरम्पार। हे ज्ञानदायिनी! हे वीणावादिनी! बुद्धि दे!, करो भवसागर से पार।। हे कमलवसिनी!, …
हे भारती हर क्लेश जग - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
पूजन करूँ मैं आरती, नित शारदे माँ भारती। चढ़ सत्यरथ नित ज्ञानपथ, श्वेतवसना सारथी।। हे सर्वदे सरसिज मुखी तिमिरान्ध जीवन दूर कर। वीणा नि…