शारदे वन्दना - पंचचामर छंद - अभिनव मिश्र "अदम्य"

सुमातु ज्ञान दीजिये, दयालु देवि शारदे!
मिटाय अंधकार को, प्रकाश को उबार दे!!
जला सुदीप ज्ञान का, सुकंठ हंसवाहिनी!
स्वभाव माधुरी भरा, रहे सदा सुवासिनी!!

सुमार्ग पे चलूँ सदा, विहंग सी उड़ान दो!
सुसभ्यता सदा रहे, हमें नवीन ज्ञान दो!!
पुनीत भाव दो हमें, दयालु देवि भारती!
पवित्र वेद हाँथ ले, सदैव माँ विराजती!!

खड़ा कतार द्वार मातु भाग्य को सँवार दे!
सदैव चित्त में सुमातु काव्य को निखार दे!!
पुकार भक्त है रहा, नमामि मातुशारदे!
बिषाद नष्ट हों सभी, व दोष को संहार दे!!

सुकर्म ध्यान से करूँ, सुलेखनी महान हो!
नवीन पंथ को रचें, सदा नया विहान हो!!
कदापि पैर न रुके, डिगे न लक्ष्य से कभी!
सुपूज्य भारती सदैव मंजिले मिले सभी !!

अभिनव मिश्र "अदम्य" - शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश)

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