संदेश
पार्थ - कविता - राकेश कुशवाहा राही
या तो युद्ध करो तुम या फिर हँसी सहो अपनो की, तज कर मोह संहार करो तुम अभी सभी अपनो की। जीकर तुम यथार्थ में मत बात करो मरे सपनो की, आने …
शांतिदूत - कविता - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'
शांतिदूत सृष्टि नियंता माधव हस्तिनापुर आए, ख़बर फैल गई दरबारों में मैत्री का संदेशा लाए। महारथियों से भरी सभा स्वागत में दरबार सजा, …
भीम दुर्योधन युद्ध - कविता - जितेंद्र रघुवंशी 'चाँद'
ललकारा जब भीम को दुर्योधन ने। साधा बाण फिर अर्जुन ने। पर, उसी क्षण रोक लिया, भीम ने, कहा, इसके लिए मैं ही काफ़ी हूँ। क्षमा करे भ्राता, …
अभिमन्यु वध - कविता - परमानन्द कुमार राय
शंखनाद की बजी ध्वनि जब कुरुक्षेत्र के धर्म समर में। हो बेचैन से लगने लगे थे उस क्षण, युधिष्ठिर, अर्जुन के विरह में। भीम भी भयभीत दिखे …
गीता सार - कविता - गोकुल कोठारी
धर्म विरुद्ध है नीति जाकी कोई टार सका नहीं विपदा वाकी भूल गया तू एक ही क्षण में किस कारण तू खड़ा है रण में समझ यहाँ तेरा कौन सगा है सब…
उठो पार्थ - कविता - रमाकांत सोनी
उठो पार्थ प्रत्यंचा कसो महासमर में कूद पड़ो, सारथी केशव तुम्हारे तुम तो केवल युद्ध लड़ो। धर्म युद्ध है धर्मराज युधिष्ठिर से यहाँ महारथ…
सुनो धनञ्जय का वियोग - कविता - राघवेंद्र सिंह
(महाभारत परिदृश्य रचना) लिख रहा कथा मैं उस क्षण की, है व्यथा महाभारत रण की। जा रहे थे दिनकर अस्तांचल, आ रही निशा वह रूप बदल आ रहे धनञ्…