संदेश
स्वराज मिलेगा - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
गाँधी जी आपने कहा था की स्वराज मिलेगा। पर घीसा को एक जून रोटी चिथड़ों से ढ़की सौष्ठव काया ही हजूरी में जवान लटी क्या उसके जीवन में समूं…
बापू तेरे देश में - कविता - मोहम्मद मुमताज़ हसन
गोरों को था मार भगाया तूने, आज़ादी का ध्वज फहराया तूने! दी कुर्बानी देश की खातिर , मिटे देशभक्ति के आवेश में! लेकिन अब क्या हो रहा है, …
बापू - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
शील त्याग गुण कर्म का, मानक था जो लोक। सत्य अहिंसा सारथी, गाँधी थे आलोक।। सहज सरल नित सादगी, मृदुभाषी सद्नीति। शान्ति दूत अतुलित प्रखर…
प्रकटे बापू - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
दो अक्टूबर महापर्व है, भारत के इतिहास में प्रकटे बापू भानु इसी दिन, धरा देख तम पाश में। सत्य अहिंसा व्रत को लेकर, चरख चक्र ले हाथ मे…
दो अक्टूबर - कविता - नूरफातिमा खातून "नूरी"
दोनों फूलों ने हिन्दुस्तान को महकाया, भारत के वीर सपूत होने का वचन निभाया। एक ने जय जवान-जय किसान का नारा दिया, डूबते हुए भारत को मजब…
बापू क्या करोगे यहाँ आकर? - लेख - सतीश श्रीवास्तव
पूज्यनीय बापू, सादर प्रणाम। बापू आपके सपनों का भारत वैसा नहीं बन सका इस बात का हमें कम और उन्हें ज्यादा खेद रहता है जिनके कन्धों पर दे…
लाचार - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
गांधी तेरे देश में आज भी तेरे बंदर मौन हैं, अब तो लगता है उन्होंने ने भी इसे नियति का खेल समझ लिया है क्योंकि अब वे भी विचलित कहां हैं…