संदेश
अरुणोदय - कविता - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
उषाकाल में- लालिमा से परिपूर्ण, प्रखर तेज, रक्त-वर्ण, अरुण! होते विकसित अरुणाचल में। हरे-भरे पर्वत-श्रंगों- के मध्य, लाल-बिंबफल सम, द…
उषा - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
पक्षियों का मधुर कलरव, धरा हुई मगन, मानो चूम रहे हो, धरती और गगन। अंधकार को चीरती उषा की पहली किरण, रेन-बसेरा छोड़ आए चिड़िया तितली हिरण…
भोर हुई वो घर से निकला - कविता - आर एस आघात
भोर हुई वो घर से निकला, जग सारा जब सोया था। तन उसके दो गज का गमछा, शिक़वे न किसी से करता था। सुबह से लेकर दो पहर तक, रहता वो खलियानों…
नयी भोर नव आश मन - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
नई भोर नव आश मन, नव अरुणिम आकाश। मिटे मनुज मन द्वेष तम, मधुरिम प्रीति प्रकाश।।१।। मार काट व्यभिचार चहुँ, जाति धर्म का खेल। फँसी सियास…
मधुरिम वेला भोर की - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मधुरिम वेला भोर की, हो सबका कल्याण। सुख वैभव आरोग्यता, सभी दुखों से त्राण।।१।। निर्मल शीतल नव किरण, भरे मनुज उत्साह। मति विवेक …
भोर की प्रतीक्षा में - कहानी - प्रवीण श्रीवास्तव
सुधा गृह कार्य से निबटकर आराम करने की ही सोच रही थी कि अचानक किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी। मन ही मन कुढ़ती हुई सुधा दरवाज़े की तरफ बढ़ी …
नवभोर - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
लिखूँ हृदय की कलम से, गाथा नित नवभोर। पाकर प्रातः अरुणिमा, कर्म मग्न चहुँओर।।१।। नव ऊर्जा नवजोश से, कर्ययोग प…