संदेश
विधा/विषय "बुंदेली"
अपनालो स्वदेशी - बुंदेली गीत - डॉ. अरविंद श्रीवास्तव "असीम"
सोमवार, नवंबर 16, 2020
अपना लो, स्वदेशी ये भइया! अपना लो। डूब रहे उद्योग हैं सब रे निर्यातक दिख रहे हैं डरे माल देश को घरन मंगा लो। अपना लो, स्वदेशी ये भइया!…
एकई सौ - बुंदेली ग़ज़ल - महेश कटारे "सुगम"
सोमवार, नवंबर 16, 2020
सबई जगा कौ हाल दिखा रऔ एकई सौ सबकौ सूज़ौ गाल दिखा रऔ एकई सौ दूद, तेल, पिट्रोल, सिलेंडर, फीसन में मेंगाई कौ जाल दिखा रऔ एकई सौ अफरा त…
पचत नईंयाँ - बुंदेली ग़ज़ल - महेश कटारे "सुगम"
मंगलवार, अगस्त 18, 2020
पेट में बात पचत नईंयाँ कये बिन चैन परत नईंयाँ खा खा सांड़ परे हैं लरका उनकौ मांस दबत नईंयाँ रात रात भर देत दोंदरा जल्दी कभऊँ…
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