संदेश
मेघ और मनुज - कविता - कुमार प्रिंस रस्तोगी
जेठ अषाढ़ी सावन बरसे बरसे अर्ध कुँवार, आसमान में चातक घूमे धरती करे पुकार। हे इंद्रराज! अब करो तृप्त तुम मेरे हे प्राण, मनुज-मनुज ही ह…
सावन के आँगन में मेघा घिर आए रे - गीत - श्याम सुन्दर अग्रवाल
सावन के आँगन में मेघा घिर आए रे, धरती की माँग भर जल किसान गीत गाए रे, सावन के आँगन में मेघा घिर आए रे। खेतों में बीज पड़े, दानों ने मु…
बरसे बादल - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
बरसे बादल क्रोध भरे, नश्वरता का बोध भरे। इतना पानी आँखों में, जाने कैसे रोध करे। कुछ तो सावन का असर, उस पे नयन मोद भरे। पार का स…
लो आ गया सावन - कविता - रमाकान्त चौधरी
लो आ गया सावन, खिल उठे उपवन, चहकी हरियाली। पेड़ों को मिला नवजीवन लो आ गया सावन। आग बरसाते तपते भास्कर, सिर पर तनी धूप की चादर। गर्म हवा…
सावन और माँ का आँगन - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मुस्कान खिली ऋतु पावस मुख, आनंद मुदित मधु श्रावण है। फुलझड़ियाँ बरखा हर्षित मन, नीड भरा माँ का आँगन है। महके ख़ुशबू बरसात घड़ी, भारत …
बार-बार यह सावन आए - कविता - राजेश 'राज'
करें गगन में मेघ गर्जन, करे चपला घनघोर नर्तन। हुए पागल उन्मुक्त बादल, घुमड़ रहे ले जल ही जल। यह विराट दृश्य मन भाए, बार-बार यह सा…
बरसा ऋतु मन भावन - मनहरण घनाक्षरी छंद - राहुल राज
बरसा की ऋतु मन भावन सुभावन है, तन मन डाले संग उठत उमंग हैं। हरियाली ख़ुशहाली लाई ऋतु मतवाली, ताली बजा बजा नाचे सब एक संग हैं। ख़ुश ह…